अगर बात की जाए हिंदी सिनेमा की तो इस मूर्ति को आकर देने का काम किया दादा साहब फाकेल जी ने लेकिन इसकी ख़बसूरती पर गहने चढ़ाने का कई कलाकारों ने काम किया उनमे से एक नाम है कनीज फातिमा राशिद का अपने ये नाम कभी पहले नहीं सुना होना बता दे की फातिमा राशिद यनि के नरगिज़ जी। नरगिज़ ने अपने अभिनय से लोगो का दिल जीता लेकिन वो कभी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी वो डॉक्टर बन कर समय की सेवा करना चाहती थी नरगिज़ का जन्म कोलकाता में 19 जून 1929 को हुआ था उनका असली नाम कनीज़ फातिमा राशिद था नरगिज़ की माँ एक तबायफ थी साथ ही वे फिल्मो में गाया भी करती थी। बता दे की महज़ 6 साल की उम्र में ही फातिमा को एक फिल्म तलाशे हक़ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका नाम था नरगिज़ी और ये नाम ऐसा जच्चा की लोग उन्हें अब नरगिज़ के नाम से ही जानते है।
वैसे नरगिज़ कभी भी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी वे डॉक्टर बनकर हमेशा से लोगो की सेवा करना चाहती थी हलाकि माँ की इच्छा के कारन उन्हें फिल्मो में काम करना पड़ा उनकी माँ एक नरगिज़ को स्क्रीन टेस्ट के लिए फिल्म निर्माता एवं निदेशक मेहबूब खान के पास ले गई वो कभी भी एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थी तभी वो जान कर फेल होने के लिए काम करने लगी लेकिन फिर भी मेहबूब खान ने उन्हें अपनी फिल्म तकदीर के लिए चुन लिया नरगिज़ साहिबा की पहेली फिल्म तकदीर सुपरहिट हो गयी फिर ये सुपरहिट फिल्मो कला सिलसला कभी नहीं टुटा। आपको बता दे की साल 1984 में नरगिज़ के बेटे संजय दत्त और रेखा की एक फिल्म आयी थी जिसका नाम ज़मीन और आसमान था इस फिल्म के बाद संजय और रेखा के अफेयर की खबरे आने लगी ख़बरों के अनुसार ये भी कहा जाने लगा था की दोनों ने बिना किसी को बताये शादी भी कर ली है और रेखा संजय दत्त के नाम का सिंदूर लगाने लगी है हलाकि इस मामले में रेखा और सुनील दत्त ने कोई बयां बजी नहीं दी है।
अगर कोई बियाँ दिया तो वो तह संजय दत्त की माँ नरगिज़ का उन्होंने रेखा को बहुत बुरा भला कहा था उन्होंने कहा की वो मर्दो को इशारा कर अपनी ओर करने की कोशिश करती है कुछ लोगो की नज़रों में वो डायन से भी ज्यादा बुरी है तो ये थी नरगिज़ ओर रेखा कहानी तो आपको ये जानकारी जानकर कैसा लगा हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।