अब तक जिन लोगो ने ‘दा कश्मीर फाइल्स’ फिल्म देख ली है वो दो सीन के बारें में काफी चर्चा कर रहे है। एक सीन जिसमे एक चावल के ड्रम में एक व्यक्ति यानी कश्मीरी पंडित छिप जाता है और उसको उसके पडोसी ही उन आतंकियों के हाथ पकड़वा देते है और उसके बाद उसके घर में ही घुसकर उसका खून कर दिया जाता है। इस सीन का काफी ज़िक्र हो रहा है। असल में ये वाकई में हुआ था बी के गंजु के साथ 19 मार्च 1990 में। इसका ज़िक्र एक लेखिका है सुनंदा वशिष्ट उन्होंने पहले भी किया था और अब उनका ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

इसके अलावा एक और ज़िक्र है गिरजा टिक्कू का। जो आरा मशीन वाला सीन है वो भी वाकई एक लैब असिस्टेंट के साथ हुआ था। गिरा टिक्कू के साथ जिन्हे धोके के साथ उनके साथी ने बुलाया था कि आपकी पिछली बकाया सैलरी है आप उसे ले जाएँ। उसके बाद उन्हें जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना हुई। उन्होंने अपना चेक लिया और चेक लेकर वो वापस आ रही थी, उस वक़्त उनके साथी के इशारा करने पर उनका अपहरण किया गया और उनके साथ गलत काम किया गया और फिर वही किया गया जो इस फिल्म में दिखाया गया है।
ये दो सीन जिनकी चर्चा बहुत ज्यादा लोग कर रहे है। हम आपको बताना चाहते है कि बी के गंजु वो शख्स जो एक चावल के ड्रम में अपनी जान बचने की कोशिश करते है और दूसरी गिरजा टिक्कू। ये वकाई हादसे हुए थे, और इन्हे एक कहानी की तरह पिरोकर विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म में दिखाया है। लेकिन जो भी दिखाया है वो सच है और वो वाकई में लोगो के साथ हुआ था, कश्मीरी घाटी में हुआ था, कश्मीरी पंडितो के साथ हुआ था। अब इससे जुड़े कई सच और वो सारे वीडियोस निकलकर आ रहे है।
क्युकी दा कश्मीरी फाइल्स ने काफी मदद की है लोगो की, इस बारें में बताने की कि ये सब सच में हुआ था। बोहत से लोगो ने फिल्म देखकर आने के बाद ज़िक्र किया कि क्या वाकई में ऐसा हुआ था। उसके बाद लोगो ने जब सोशल मीडिया पर इसको ढूंढ़ना शुरू किया तो ये दो नाम सामने आये। बी के गंजु और गिरजा टिक्कू।
गिरजा टिक्कू की खुद का परिवार अभी तक कभी ये उनके लिए इन्साफ की लड़ाई नहीं लड़ पायी थी। दा कश्मीर फाइल्स ने एक काम तो किया है। इस फिल्म ने लोगो को एहसास दिया दिया है कि साल 1990 में हुआ क्या था। जिसके बारें में ज़िक्र तक नहीं करता, कोई बात तक नहीं करता इसके बारें में, किसी को इसका अंदाजा तक नहीं था। आप सोचिये उन लोगो के बारें में जो 32 सालो से अपने सीने में ये दर्द छुपाएं जी रहे है।