इस दुनिआ में कुश वि हो सकता है ठेले वाले की बेटी ने यह कर दिए है साबित । ठेले वाले की बेटी ने पड़े पुररी करने के वाद बानी जज । आज हम आपको इंदौर के एक परिवार की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत कोशिशें की हैं और आज उनकी कोशिशें रंग लाई है इंदौर के मुसाखेड़ी चौराहे पर सब्जी बेचकर अपना रोजगार चलाने वाले अशोक नागर को शायद जीवन की सबसे बड़ी खुशी मिल गई है क्योंकि जो मेहनत उन्होंने बचपन से कि आज वह सफल हो गई है अज्ज उनकी बेटी ने म्हणत ऑर पुररी लगन के साथ पड़े करके सिविल जज बैंकर अपने शेहर और अपने माँ बाप का नाम रोशन कर दिआ । माँ बाप को बेटी के जज बनने पैर कितनी ख़ुशी है ये हम सोच वि नहीं सकते । अज्ज हम बताए गए की उनकी सफलता के पिशे कितनी कोशिह की थी ।
आइए जानते है ठेले वाले बेटी के जज बनने के पिशे कितनी कोशिश थी ?
ठेले वाले का पुर्रा परिवार मध् प्रदेश के इनडोर गाओं में रहता है ।अशोक नागर शहर के मूसाखेड़ी इलाके में सब्जी विक्रेता है,और ये ही उनकी जीविका का एक मात्र रास्ता है,और इसी से अशोक नागर ने अपनी बेटी अंकिता नागर को सब्जी बेचकर पढ़ाया लिखाया। अंकिता ने बताया की पापा सुबह 5 बजे उठकर मंडी चले जाते हैं। मम्मी सुबह 8 बजे सभी के लिए खाना बनाकर पापा के सब्जी के ठेले पर चली जाती हैं, फिर दोनों सब्जी बेचते हैं। वंही बड़ा भाई आकाश रेत मंडी में मजदूरी करता है। छोटी बहन की शादी हो चुकी है। अंकिता नागर ने सिविल जज एग्जाम में अपने SC कोटे में 5वां स्थान हासिल किया है। अंकिता नागर ने बताया कि ‘मैंने अपने चौथे प्रयास में व्यवहार में दो बार भर्ती हासिल की है । इनके माँ बाप की खुशिया बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है ।
आइए जानते है जज बनने से पहले की लाइफ की बारें में ख्खा था अंकिता जी ने ।
अंकिता जी ने कहती है के जो चीज हम हासिल करना कहते है उसे पांने के लिए हिम्मत नहीं हरनी चाइए । अगर हम म्हणत करेंगे तो सफलता खुद हमारे पास अति है । अंकिता ने बताया की ये सब बहुत मुश्किल रहा, सबसे ज्यादा दिक्कत पैसो की कमी के कारण से फीस भरने में आती थी, लेकिन पापा ने हौसला कम नहीं होने दिया बल्कि उधार लेकर फीस चुकाई। मैं तीन साल से सिविल जज की तैयारी कर रही हूं। 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से LLB किया। इसके बाद 2021 में LLM की परीक्षा पास की। अंकिता ने अपनी पढ़ाई को पूरा समय दिया और किसी भी इंसान के सफल होने के पीछे सबसे बड़ी बात होती है
आखिर कैसे करती थी अंकिता जी आठ घंटे तक पढ़ाई ।
आखिर कर दिन में 8 घंटे तक अंकिता मन लगाकर पढ़ाई करती शाम को ठेले पर अधिक भीड़ हो जाने के कारण वह भी सब्जी बेचती थी, रात को 10:00 बजे तक मम्मी पापा के साथ दुकान बंद करके 11:00 बजे वह घर आकर अपनी पढ़ाई करने बैठ जाती थी, उनकी कोशिश का नतीजा आज सभी के सामने हैं अंकिता ने बताया जब मैं अपना रिजल्ट की कॉपी लेकर मां के पास पहुंची तो मां ठेले पर थी मैंने उन्हें कहा मां में जज बन गई यह सुनकर मां की आंखों से खुशी के आंसू झलक पड़े और पूरे परिवार खुशी से झूम उठा अंकिता ने बताया मेरी इस उपलब्धि के पीछे मेरे माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है । ऐसी बेटी बागवान सब को दे जो अपने माँ बाप की बारे में इतना सोचती है । अंकिता के माँ बाप को अपनी बेबेट्टी पैर जाज है और हमे भी अंकिता जेस्सी ननिदर और मेहनती बिद्यार्थी पैर नाज़ है । धन्यवाद ।