आप इस देश की जनता है, आप इस देश को चलने के लिए टैक्स भरते है। और आप पिछले एक साल से एक सवाल बार बार पूछ रहे है कि शुशांत सिंह राजपूत के साथ हुआ क्या था, और हर बार आपको लटका दिया जाता है यानी ताल दिया जाता है। जितने भी राजनितिक दाल है अब तक इस मामले का अपने अपने तरीके से इस्तेमाल कर चुके है। जो भी जनता की भावनाये थी उसका फायदा उठा चुके है। तब से अब तक बोहोत से चुनाव हो चुके है और बहुत से लोग जीत चुके है बहुत हार चुके है।
लेकिन अभी तक जनता के उन सवालो के जवाब अभी तक मिले ही नहीं है। कभी कोई ट्वीट आ जाता है तो उसपे चर्चा होने लगती है, कभी कोई तस्वीर आ जाती है तो उसको लेकर विवाद शुरू होजाता है। बहुत से लोग तो तेरो कार्ड लेकर बैठे है तो उस बात को लेकर चर्चा होने लगती है। लेकिन मुद्दा यह है कि कोई भी यह बताने के लिए अगर तैयार नहीं है कि आखिर उस रात हुआ क्या था तो फिर यह जांच सी बी आयी को सौपी क्यों गयी थी। क्या सिर्फ लोगो कि बात सुनकर एक फॉर्मेलिटी पूरी करी गयी।

क्युकी लोग इतना शोर मचा रहे है और इतने सवाल पूछ रहे है तो चलो एक समय के लिए अगर यह शांत होते है तो यह एलान कर देते है कि सी बी आयी के पास जांच चली गयी है। क्युकी जबसे यह एलान आया है कि सी बी आयी इस पूरे मामले कि जाँच करके बताएगी तबसे सिर्फ इंतज़ार चल रहा है। लेकिन यह इंतज़ार भी कब तक चलेगा, क्युकी एक साल तो पूरा हो चूका है।
क्या यह इंतज़ार और कई साल और कई महीनो तक चलेगा। जहा तक हमारी सोच कहती है कि इस पूरे मामले का राजनितिक दलों ने जितना फायदा उठाना था और जिस तरह से उठाना था वो उठा चुके है। और अब यह मामला उनके लिए गले की हड्डी बन गया है और वह सोच रहे है अब क्या करे इसका। क्युकी जनता तो सवाल पूछ रही है और जवाब देना नहीं है या देना नहीं चाहते या फिर है ही नहीं कोई जवाब, या फिर एजेंसी को ऐसा कुछ मिला है जो बताने लायक नहीं है या फिर वह किसी बड़े व्यक्ति का सच छिपा रहे है।
जब तक जवाब नहीं आएंगे इसी तरह की बातें होती रहेंगी, लेकिन एक बात जो बहुत साफ़ हो जाती है कि इस देश की जनता इस देश को चलने के लिए टैक्स पाय करती है और वही जनता अगर एक सवाल पूछती है तो उसका जवाब देने को कोई आगे नहीं आता।