आज के दिन की सबसे बड़ी खबर ये है कि प्रधान मंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने सन्देश में तीनो कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया है। ये वही तीनो कृषि कानून है जिनके विरोध को लेकर दिल्ली को घेरकर बैठे हुए है पिछले कई महीनो से किसान। और अब आज गुरुपर्व के मौके पर जब राष्ट्र के नाम सन्देश दिया प्रधानमंत्री मोदी ने तो उन्होंने सबसे बड़ा और सबसे पहला एलान ये किया कि वो इन तीनो कृषि कानूनों को वापिस ले रहे है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वो किसानो को नहीं समझा पाए, किसानो को समझने की बहुत सी कोशिशे हुई लेकिन वो बेकार रही। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अब मैं जितने भी प्रदर्शनकारी, आंदोलनकारी किसान है उन्हें घर वापिस जाने के लिए कह रहा हूँ। अब इन कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया संसद के सत्र में शुरू होगी। अब जिस विरोध को लेकर वो सारे किसान बैठे हुए थे, उसको लेकर उन्हें अब वह बैठने की ज़रूरत नहीं है।
इसपर अब तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है। आम आदमी पार्टी का ये कहना है कि ये किसानो की जीत है, कोई इसे बीजेपी की हार बता रहा है। लेकिन सवाल ये है कि इतने समय से जो विरोध चल रहा था, इसको लेकर तरह तरह की राजनीति हो रही थी। और अब जब कि चुनाव सरपर है। तो आप समझ सकते है कि इसके कई सारे मायने निकाले जायेंगे। हमारे देश में कोई भी बड़ा फैसला जब भी होता है, उसके दो मायने निकाले जाते है।
एक तो वो जो उसके सही मायने होते है और एक वो जो उसके राजनैतिक मायने होते है। अब सवाल वही है कि क्या सरकार इस फैसले का इस्तेमाल अपनी चुनावी रडनीति के तौर पर करेगी या ये कोई नया पैतरा है। इसपर भी सवाल किया जा रहा है। क्युकी सामने से जो रिएक्शंस आ रहे है विरोधी दलों के जो किसानो के समर्थन में जुटे हुए थे। उनका ये भी कहना है कि आज गुरुपर्व है इसीलिए आज ये एलान किया गया। आने वाले समय को देखकर बहुत सी दिशाए तय होनी है।
इसीलिए ये एलान किया गया। और हम निश्चित रूप से ये जानते है कि हमारे देश में कभी भी ऐसा नहीं होता कि कोई इतना बड़ा फैसला लिया जाए, भले वो कानून को लाने का हो या प्रधानमंत्री स्वयं कानून को वापस लेने का फैसला करे। उसके जितने सरे राजनैतिक आयाम है उनपर निश्चित रूप से चर्चा हुई होगी और उसको ध्यान में रखते हुए ही ये फैसला लिया गया होगा। आप लोग इस फैसले पर अपनी क्या राय रखते है हमे कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताये।