सफलता के लिए पहाड़ तोड़ना तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या कभी सफलता के पहले हड्डियों का टूटना सुना है. ऐसा हुआ है आईआरएस अफसर उम्मूल खैर के साथ. बचपन से झोपड़ी में रहने वाली उम्मूल के संघर्ष की कहानी पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे.कहते हैं न कि उड़ान पंखों से नहीं बल्कि हौसलों से होती है, आईआरएस अफसर उम्मूल खैर इसकी मिसाल हैं. संघर्ष के कई किस्से सुने होंगे लेकिन उम्मूल के संघर्ष की कहानी सुनकर हर कोई प्रेरित हो जाएगा. एक रूढ़िवादी परिवार में जन्मी उम्मूल ने झोपड़ी में रहकर पढ़ाई की. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हुए अपनी फीस का खर्च उठाया और 2017 में यूपीएससी की परीक्षा पास की. लेकिन सब बातें उम्मूल की जिंदगी के संघर्ष और कठिनाइयों के आगे बहुत छोटी हैं. आइए जानते हैं कि झोपड़ी में रहने वाली IRS उम्मूल आज कैसे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

पढ़ाई का खर्च खुद उठाया
उम्मूल के पिता निजामुद्दीन में कपड़ों की फेरी लगाकर कपड़े बेचा करते थे, इससे घर का खर्च निकाल पाना भी मुश्किल था, तो पढ़ाई की बात तो दूर थी. छोटी सी उम्र में ही उम्मूल ने झुग्गी में रहने वाले बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया और पढ़ाई का खर्च उठाया.
सपनों के लिए छोड़ा अपनों का साथ
जब आठवीं की पढ़ाई पूरी हुई तो उम्मूल के परिवार ने आगे की पढ़ाई करने पर रोक लगा दी, लेकिन उम्मूल के इरादे इतने पक्के थे कि उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने की खातिर घर छोड़ दिया और पढ़ाई के लिए परिवार से दूर अलग कमरा लेकर रहने लगीं।
कैसे पास किया यूपीएससी का एक्जाम
उम्मूल बच्चों को दिन-रात ट्यूशन पढ़ाती थीं और फिर अपनी पढ़ाई भी करती थी. इस बीच उनके पास खाना खाने तक का वक्त नहीं होता था. एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए उम्मूल ने बताया कि वक्त की कमी के कारण कई बार उन्हें चार दिन पुरानी रोटियां खानी पड़ती थीं जिन पर फफूंद भी आ जाती थी. ऐसी तमाम दिक्कतों के साथ पढ़ाई करने के बाद पहले उम्मूल ने जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा पास कर ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की इसके बाद अपने पहले ही अटेंप्ट में यूपीएससी निकाला।बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारी, 8 ऑपरेशन, परिवार और समाज की उपेक्षा और पैसे की कमी के बावजूद देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करने वाली उम्मूल अकेली थीं लेकिन अब उनके पास परिवार से लेकर समाज तक सबका साथ है।