जगजीत सिंह को उनके पिता ने बचपन से ही गुरबानी और शबद गाने के लिए शास्त्रीय संगीत की शिक्षा और संस्कार डलवाए थे. यही वजह थी कि जब जगजीत की गायकी की रेंज बहुत विस्तृत और कई दफा चौंकाने वाली होती है. लोग कहते हैं कि इस जगजीत को तो हमने पहले कभी सुना ही नहीं.

जगजीत सिंह की पुण्यतिथि
10 अक्टूबर को शिरोमणि गज़ल गायक जगजीत सिंह की पुण्यतिथि है. उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 6 अक्टूबर की शाम एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम की सूत्रधार सांस्कृतिक संस्था इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन है. इस अवसर पर प्रसिद्ध पत्रकार और फिल्मकार राजेश बादल की पुस्तक ‘कहां तुम चले गए’ का लोकार्पण किया जाएगा. ‘कहां तुम चले गए’ पुस्तक जगजीत सिंह के जीवन के सफर का प्रामाणिक दस्तावेज़ है.
कहां तुम चले गए.
प्रसिद्ध पत्रकार और फिल्मकार राजेश बादल की पुस्तक ‘कहां तुम चले गए: दास्तान-ए-जगजीत’ असल में जगजीत सिंह को नजदीक से जानने का एक शानदार दस्तावेज है. इस किताब में जगजीत सिंह की गायकी के अलावा उनकी ज़िंदादिली और उदारता के कई किस्से हैं. जगजीत सिंह किस तरह मुंबई की सड़कों पर मदद करने निकलते थे और बेटी की शादी के नाम पर कार्यक्रम का निमंत्रण देने वालों को मिठाई के डिब्बे में रुपये देकर विदा कर देते थे. जगजीत सिंह का हॉर्स रेसिंग का प्रेम, उनके नए गायकों और शायरों से रिश्तों की भी इस किताब में विस्तार से चर्चा की गई है.