इंटरनेट जगत या सोशल मीडिया की दुनिया में अंकुर वारिकू आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. बल्कि वे युवाओं के बीच यूथ आइकन से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर जैसे कई रोल में सक्रीय हैं. पीएचडी ड्रॉप आउट अंकुर वारिकू आज असफलताओं से न हारने और जितने की जिद्द की कहानी हैं. यूट्यूब हो या लिंक्डइन, हर जगह आपको अंकुर के लाखों फॉलोवर्स मिल जाएंगे. बल्कि ये कहना ज्यादा सही होगा कि वे नई जेनरेशन के सेल्फ हेल्प गुरू की भूमिका में आ गए हैं. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर लगभग 40 लाख से ज्यादा उनके फॉलोवर्स उनसे पैसे से लेकर रिलेशनशिप तक के सवाल पूछते रहते हैं.

पीएचडी बीच में छूटी
41 साल के अंकुर की स्कूली शिक्षा डॉन बॉस्को स्कूल, नई दिल्ली से हुई. फिर उन्होंने हिंदू कॉलेज में बीएससी, भौतिकी में प्रवेश लिया. उसके बाद उन्होंने पीएच.डी. के लिए मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी एमएस, एस्ट्रोफिजिक्स में दाखिला लिया लेकिन बीच में ही छोड़ दिया. अमेरिका से वापस आने के बाद, उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया और 2006 में स्नातक किया.
असफलताएं की सीढ़ी चढ़कर आगे बढ़े
अंकुर कहते हैं कि असफलताएं हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. इसलिए हर फेलियर को सीढ़ी बनाइए. ट्वीटर पर अपने फॉलोवर्स के बीच अंकुर ने अपनी सीवी शेयर की और उसे फेलियर रिज्यूमे का नाम दिया. लिखा कि ये सफर आसान नहीं था. बहुत सारे रिजेक्शन और असफलताओं का मैं गवाह हूं. एक बार नहीं बल्कि कई बार. मैंने दो बार आईआईटीटी JEE के लिए प्रयास किया लेकिन असफल रहा. आईआईटी IIT से ही MSc के लिए एग्जाम दिया लेकिन क्लीयर नहीं कर पाया.वारिकू अपने उस समय को याद करते है जब वे अमेरिका से अपनी PhD बीच में छोड़ कर वापस इंडिया आ गए, तब वह मात्र 24 साल के थे. उनका परिवार सदमे में था. वारिकू कहते हैं ये सफर बिलकुल आसान नहीं था.
असफलता से दुनिया का अंत नहीं होता
अपने यूट्यूब के एक वीडिये में वारिकू बताते हैं कि तब ऐसा लगता था कि मेरी दुनिया का अंत हो गया. लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं था. आपके रिलेशनशिप, एग्जाम, लक्ष्य या जॉब के चले जाने से सब कुछ खत्म नहीं हो जाता. दुनिया में इसके अलावा भी बहुत कुछ है. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, अंकुर एक कंसल्टिंग फर्म एटी किर्नी में नौकरी करने लगे. वारिकू ने किर्नी में काम करते हुए दुबई, न्यूयॉर्क और भारत में रियल एस्टेट उद्योग और मीडिया व मनोरंजन क्षेत्रों में काम किया.
साल 2015 में नियरबाय की शुरुआत
इन दो स्टार्टअप के तुरंत बाद, अंकुर ने ग्रुपन के साथ भारत में संस्थापक सीईओ के रूप में हाथ मिलाया. इसके साथ ही उन्होंने ग्रौपों के लिए थाईलैंड, फिलीपींस और इंडोनेशिया के व्यवसायों को भी मैनेज किया. साल 2015 तक यानी लगभग चार वर्षों तक भारत में उन्होंने ग्रौपों के व्यवसाय का नेतृत्व किया. उस वर्ष उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया और सेकोईअ कैपिटल के साथ ग्रौपों से भारत के कारोबार की प्रमुख हिस्सेदारी खरीदी और इसे एक नए स्वतंत्र स्टार्टअप, नियरबाय के रूप में शुरू किया.