यह बात सुनकर आपको काफी ताज्जुब हो लेकिन हमारे देश में आज भी कुछ ऐसे कानून है जो अंग्रेज़ो के जमाने में बने थे और उनपर अभी भी वैसे ही अमल किया जा रहा है। कुछ ऐसे कानून भी है जो 1860 या उससे भी पहले के है। यानी 150 साल से भी ज्यादा बीत जाने के बाद भी उन कानूनों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यहाँ तक की कई कानून इतने ज्यादा पुराने है कि वह तो मुग़ल काल में बने थे और उनपर अभी भी उसी तरह से काम किया जाता है।

हमारे आस पास कितना कुछ बदल चूका है। 150 साल तो दूर की बात है आप 10 15 सालो में ही दुनिया इतनी बदल चुकी है कि उसके लिए नये कानून की ज़रूरत महसूस हो रही है। हमने देखा है कि कैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के लिए सरकार एक नयी नियम सूची लेकर आयी, मीडिया के लिए भी समय समय पर नए नियम आते रहे है। लेकिन अभी भी ऐसी बहुत सी कानून व्यवस्थाएं जिनमे अभी भी बदलाव की ज़रूरत है। एक कानून है इंडियन टेलीग्राफ एक्ट जो 1885 में बना था।
आप सोचिये कि उस समय किस तरह से चिट्ठियां भेजी जाती थी और आज जब हम ईमेल और व्हाट्सप्प के युग में है। और आज भी वह 1885 का वो एक्ट है जिसमे इतने सारे सुधारो कि ज़रूरत है। एक कोलकाता के लिए कानून है दा बंगाल नुइसंस एक्ट 1905 बनाया गया था। यह कानून उस समय बनाया गया था जब कोलकाता के विक्टोरिया पैलेस को प्रदूषण से बचाना था। आज इस कानून का स्वरुप बदलने की ज़रूरत है। एक टोडरमल कानून है जो बिहार में अभी भी चल रहा है।
जहा पर ख़ास तरह से कोई प्यातरात व्यवसाय है, तो उसको एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर किया जाता है और इसी कानून का हवाला दिया जाता है। कुछ साल पहले एक आदमी ने कोर्ट में गंगा नदी पर अपना हवाला देते हुए इस कानून पर अपना मुकदमा थोक दिया था। बहुत से ऐसे कानून है और अब एक याचिका दायर की गयी है जिसके ज़रिये कोशिश करी जा रही है लोगो को यह बताया जाये कि बहुत सारे कानून है जिन्हे बदलने की ज़रूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है भाजपा नेता और वकील है अश्वनी कुमार उपाध्याय और उन्होंने यह मांग की है की केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए जाए कि वो एक न्यायिक आयोग का गठन करे जिसमे सेवा निरमित्र जज हो सकते है, कुछ आईएएस, आईपीस, उस तरह के लोग हो जो कानून कि जानकारी रखते है। यह सभी लोग भ्रस्टाचार और अपराध के बारे में जो इस समय का हालत है उसको ध्यान में रखते हुए बात करी जाए।
जब कानून हमारे आज के लिए लागू होना चाहिए तो आज की परिस्तिथियों के हिसाब से होना चाहिए न की 150 साल पहले क्या हुआ था उस हिसाब से। क्युकी 150 साल पहले बहुत कुछ ऐसा था जो नहीं होता था और अब होता है। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि अंग्रेज़ो ने 1860 में IPC यानी इंडियन पीनल कोड में अपनी ज़रूरते पूरी करने के लिए कुछ कानून बनाये थे ताकि वो यहाँ पर राज़ कर सके। उन कानूनों का मकसद भारतीयों को न्याय दिलाना नहीं था बल्कि अपने लिए रास्ता साफ़ करना था। और अगर आज हम आँख बंद करके उन कानूनों को मान कर चल रहे है तो ज़रूरत इस बात की है कि उन कानूनों में सुधार किये जाए।