- महिला आईएएस अधिकारी श्वेता अग्रवाल की सफलता की कहानी: यह कहानी है कि कैसे एक किराना व्यापारी की बेटी आईएएस अधिकारी बन सकती है। यह कहानी है भद्रेश्वर इलाके के एक छोटे से पंसारी की बेटी की। श्वेता अग्रवाल 2015 में यूपीएससी परीक्षा के लिए उपस्थित हुईं। इस परीक्षा में श्वेता ने 19वीं पास की और आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा किया। श्वेता के संघर्ष की कहानी शिक्षा सुविधा मिलने से लेकर यूपीएससी में फीमेल टॉपर बनने तक कई बाधाओं से भरी है।

श्वेता बताती हैं कि कैसे उनके माता-पिता ने खराब परिस्थितियों के बावजूद मुझे शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की। श्वेता ने कहा, “जब मैं सेकेंड में थी तो बच्चों से घर से पैसे लाने और खाना खरीदने को कहती थी।” जैसा कि मेरे माता-पिता कहा करते थे, हमारे पास पैसे नहीं हैं।
श्वेता अग्रवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की। बाद में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से अर्थशास्त्र में डिग्री के साथ स्नातक किया। उस समय कॉन्वेंट फीस 165 रुपये प्रति माह थी। लेकिन परिवार की वजह से मेरे पिता व्यावहारिक रूप से बेरोजगार थे। दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने से लेकर किराने की दुकान चलाने तक, उन्होंने श्वेता की शिक्षा के लिए कड़ी मेहनत की।
श्वेता अग्रवाल यूपीएससी की पहली दो परीक्षाओं में शामिल हुई थीं। लेकिन उनका सपना हमेशा आईएएस ऑफिसर बनने का था।
अपनी खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद श्वेता ने बचपन से ही आईएएस बनने का सपना देखा था और उन्होंने उस सपने को पूरा किया। आज उनके माता-पिता को भी उन पर गर्व है। श्वेता के पिता एक दुकानदार थे। दुकानदार रहते हुए प्रतियोगी परीक्षा में किसी लड़की की मदद करना बहुत बड़ी बात है। उन्होंने मेहनत से पैसा कमाकर श्वेता की फीस का भुगतान किया और आज हर कोई उस मेहनत का फल देख रहा है।