पंकज त्रिपाठी ने अपनी ज़िन्दगी में बहुत सारी नाकामियां देखी है, क्या आपको पता है की मिर्ज़ापुर के कालीन भईया ने अपनी ज़िन्दगी में कहा पहचान पायी और कैसे हिंदी सिनेमा में मिला एक अलग पहचा। तो आये जानते है उनकी ज़िन्दगी की कहानी !
एक समय था जब पंकज जी के घर एक फ़ोन हुआ करता था और वो उसे भी घर की सबसे अच्छी जगह रखा करते थे जहा पूरे नेटवर्क आए, ताकि कोई भी कॉल या हिंदी सिनेमा का ऑफर उनसे छूट ना जाए !

पंकज त्रिपाठी एक छोटे से गांव के रहने वाले है जहा उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करी ! और फिर उसके बाद वो पटना चले गए अपनी कॉलिज की पढ़ाई करने ! उन्हें बचपन से ही हिंदी सिनेमा का बहुत शौक था !

वो हमेशा से अपनी एक पहचान बनाना चाहते थे पर उनके पिताजी ने उन्हें कभी पैसे नहीं दिए एक्टिंग के लिए ! वो पटना में एक रेस्ट्रोरेंट में काम करा करते थे फिर उसके बाद वो स्टेज परफॉरमेंस और एक्टिंग शोज देखने जाते थे ! जब वो मुंबई आए थे तो उनके पास 46,000 थे बस और एक बीवी की ज़िम्मेदारी ! उनको शुरू में छोटे पैमाने पर काम करना पड़ा !

कुछ समय बाद उनकी जब पत्नी का जन्मदिन आया तब उनके पास बीएस १० रुपया ही बाकी रह गए थे ! उनके पास एक केक तक का इंतेज़ाम करने के पैसे नहीं थ। पंकज त्रिपाठी एक ऐसे अभिनेता है जिन्होंने छोटे से छोटे रोल को भी पूरी
शिद्धत से किआ है, कुछ थिएटर करने के १० साल बाद उनको “Run” में एक छोटा सा रोल मिला , और फिर उसके बाद उन्हें और मोके मिलते रहे ! पंकज त्रिपाठी ने ओमकारा और अपहरण जैसी बड़ी फिल्म में भी काम किया है !

उन्होंने बताया की वो सिर्फ अपने घर का किराया निकलना चाहते थे उस समय ! मै यहाँ एक स्टार बनने नहीं आया ! उनके सामने चित्र साफ़ था की उन्हें एक्टिंग के ज़रिये अपने परिवार को चलाना है, और उन्हें ये भी भरोसा था कि वो हिंदी सिनेमा मै एक्टिंग के द्वारा रह सकते है ! और हर वो काम करा सिनेमा मै जिसके वो लायक थे उस समय! उनके लिए सिनेमा मै जीवित रहना प्राथमिकता थी उसके बाद अपनी कला दिखाना ! 8 साल बाद उनको एक अच्छा मौका मिला

‘Gang of Wasseypur’ मै जिससे उनकी एक्टिंग कि ज़िन्दगी बदल गयी, उन्होंने उसके बाद Fukrey, ‘Nil Battey Sannata’ और ‘Bareilly ki Barfi’ मे भी काम किया!