डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे शख्स थे, जो इंसानियत को सर्वोपरी मानते थे. वो गीता भी पढ़ते थे, कुरान भी पढ़ते थे, गुरुद्वारे भी जाते थे और गिरजाघर भी. देश के वो एक ऐसे राष्ट्रपति थे, जो पूरे देशवासियों को प्रिय थे. जनता के राष्ट्रपति कहलाते थे

अब्दुल कलाम को दुनिया से गए
मिसाइलमैन डॉक्टर एपीजे. अब्दुल कलाम को दुनिया से गए आज पूरे सात वर्ष हो गए. वो कलाम, जिन्होंने हमारी आंखों में ढेरों सपने भरे, जिनके शब्द हमारी ज़िन्दगी की नई परिभाषाएं गढ़ते हैं, जिनका हर वाक्य सफलता के रास्ते आसान करता है, वो आज भी हमारी आंखों में बिलकुल वैसे ही बसे हुए हैं. उनके बिना हमने 7 साल गुज़ार दिया, लेकिन वो नौजवानों और बच्चों के रूप में, हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों के रूप में और अतुल्य भारत के बढ़ते क़दमों के रूप में हर वक़्त हमारे साथ रहे हैं. आज भले ही उनके जाने के बाद देश को कई अन्य राष्ट्रपति मिले, मगर कलाम साहब को जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें देश के सच्चे राष्ट्रपति के रूप में याद कर रहे हैं.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कैसे शख्स थे
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे शख्स थे, जो इंसानियत को सर्वोपरी मानते थे. वो गीता भी पढ़ते थे, कुरान भी पढ़ते थे, गुरुद्वारे भी जाते थे और गिरजाघर भी. देश के वो एक ऐसे राष्ट्रपति थे, जो पूरे देशवासियों को प्रिय थे. जनता के राष्ट्रपति कहलाते थे. उनकी सादगी से लोग बहुत ही ज्यादा प्रभावित होते थे. आइए आज उनकी पहली पुण्यतिथि पर डॉक्टर कलाम द्वारा कही गई कुछ प्रेरणादायक बातों पर नज़र डालते हैं, जिनका जीवन में शामिल होना ही हमारे प्रबुद्ध और सफल होने की इबारत लिख सकता है.