एक इंटरव्यू के दौरान, सुनील शेट्टी ने कहा था, ‘मैंने जितनी फ़िल्मीं की हैं उनमें यही इकलौती फ़िल्म है । जिसके बारे में कोई अभिनेता ये नहीं कह सकता कि मैंने फ़िल्म में लीड रोल निभाया है।सुनील शेट्टी जिस फ़िल्म का ज़िक्र करते हुए ये बात कह रहे थे वो फ़िल्म है 1997 में आई जेपी दत्ता की बॉर्डर (Border २५थ एनिवर्सरी)। फ़िल्म में बहुत सारे कलाकारों ने अपने अभिनय का जौहर दिखाया। सुनील शेट्टी के अलावा सनी देओल (Sunny Deol), जैकी श्रॉफ़ (Jackie Shroff), अक्षय खन्ना (Akshaye Khanna), पुनीत इस्सर (Puneet Issar), सुदेश बेरी (Sudesh Berry), कुलभूषण खरबंदा (Kulbhushan Kharbanda), तब्बू (Tabu), पूजा भट्ट (Pooja Bhatt), राखी (Rakhee) जैसे कलाकार नज़र आए। चाहे स्क्रीन प्रेज़ेंस कितने भी मिनट की हो, सभी की एक्टिंग ऐसी की भूलना असंभव है।

बॉर्डर जिसे देखने के बाद सेना में भर्ती हो गए थे लड़के।
कहीं भी ‘संदेसे आते हैं, हमें तड़पाते हैं’ की धुन सुनाई दे तो अपने आप ही हम गुनगुनाने लगते हैं। जेपी दत्ता की ये फ़िल्म आने के 2 साल बाद ही कारगिल युद्ध हुआ, जिसमें भारत के कई वीर जवान शहीद हो गए। फ़िल्म के बारे में पूजा भट्ट की राय थी, ‘जेपी दत्ता ने हमें एक ऐसी फ़िल्म दे दी जो हमारे शोक संदेश में लिखी जाएगी। जेपी दत्ता के अपने भाई, स्कवाड्रन लीडर दीपक दत्ता के अनुभवों पर बनी है ये फ़िल्म।जेपी ने स्कवाड्रन लीडर दत्ता की युद्ध क्षेत्र की कहानियों को इकट्ठा किया और 1971 के लोंगेवाला युद्ध पर आधारित ये फ़िल्म बनाई। गौरतलब है कि सिनेमा में दिखाए कई फ़ैक्ट्स सही नहीं थे।लेकिन ग्रेनेड, रेगिस्तान और बड़े-बड़े टैंक्स देखकर तब भी रौंगटे खड़े हो जाते थे और आज भी।
डायरेक्टर को मिली थी धमकियां।
बॉर्डर फ़िल्म 1971 के युद्ध के असल लोकेशन्स पर शूट की गई थी। बिकानेर, राजस्थान के तपते रेगिस्तान में अभिनेताओं ने शूट किया। फ़िल्म में रियल लाइफ़ आर्मी मेन भी शामिल थे। फ़िल्म में इस्तेमाल किए गए हथियार, सेना की जीप, टैंक सभी असली थे. 1997 की ये सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फ़ि
ल्म थी। फ़िल्म को तीन नेशनल अवॉर्ड्स भी दिए गए. जेपी दत्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री, पी वी नरसिम्हा राव से फ़िल्म शूट करने की परमिशन ली थी।
बॉर्डर की शूटिंग शुरू होने से काफ़ी पहले अनु मलिक ने ‘संदेसे आते हैं’ की धुन किसी दूसरे प्रोजेक्ट के लिए बना कर रखी थी लेकिन धुन का इस्तेमाल नहीं हुआ। जावेद अख्तर को गाना लिखने को कहा गया और उन्होंने अनु मलिक से धुन को लेकर बात की. जावेद साहब ने ‘ऐ गुज़रने वाली हवा बता’ वाली लाइन भी लिख दी लेकिन इसकी धुन बाकि गाने से नहीं मिल रही थी. अनु मलिक ने एक ही बार में ये अलग सी धुन बना दी थी।