March 24, 2023

बप्पी लेहरी और लता दीदी के बीच क्या रिश्ता था ? 2 साल की उम्र से रख रही थी ख़याल

दोस्तों कुछ दिनों पहले लता दीदी का जाना और अब बप्पी लेहरी के बारें में खबर। आज के इस पोस्ट में हम आपको लता दीदी और बप्पी लेहरी के रिश्ते के बारें में बताएँगे। शायद आप लोग में से कुछ जानते होंगे कि बप्पी लेहरी का बचपन लता दीदी के गोद में बीता था और उन्हें पहले ब्रेक भी लता दीदी की फिल्म में चार साल की उम्र में मिला था। कोलकाता में जो उनका घर था वह अक्सर लता दीदी आया-जाया करती थी क्युकी बप्पी लेहरी जिनका असली नाम अलोकेष लेहरी था, उनके पिता अपरेश लेहरी बांग्ला फिल्म के जाने माने संगीतकार थे।

लता दीदी के जाने के बाद से किस तरह से टूट गए थे बप्पी लेहरी। अपने जाने से कुछ दिन पहले ही उन्होंने ये बात बताई थी वो कहते है कि “जब मैं बच्चा था तब उनकी गोद में रहा हूँ। पिछले साल जब मुझे कोरोना हो गया था तो मैं ब्रीच कंदिराल अस्पताल में 14 दिनों तक भर्ती था। मेरी माँ (लता दीदी को वो कह रहे है) वो रोज़ाना मेरी पत्नी को फ़ोन किया करती थी। वो श्याम को 7 बजे करीब मेरा हाल चाल लिया करती थी।

यहाँ तक कि मैं अस्पताल से जब घर आया वो तब भी काफी चिंतित थी और बार-बार पूछती थी कि वो ठीक तो है ना ? उसकी आवाज़ तो ठीक हैना ?” हर साल 27 नवंबर को बप्पी लेहरी अपना जन्मदिन मनाते थे तो पिछले साल 2021 में जब 27 नवंबर को बप्पी लेहरी का जन्मदिन था उस मौके पर लता दीदी ने उन्हें एक बोहत ही खूबसूरत चिट्ठी भेजी। एक तोहफा भेजा और ये जो तोहफा था ये एक चांदी की मूर्ती थी राम, लक्ष्मण और हनुमान की।

वो आगे ये कहते है कि मेरी पत्नी के लिए एक साड़ी भी भेजी थी उन्होंने। वो आगे ये कहते है कि वो मुझे अपने बेटे की तरह मानती थी और मुझे तबसे जानती थी जब में सिर्फ 2 साल का था। अक्सर कोलकाता में उनका मेरे घर पर आना-जाना होता था। कोलकाता में ईडन गार्डन के इलाके में घर था बप्पी लेहरी का। तो कई साड़ी बातें उन्होंने शेयर करी थी। उन्होंने ये भी कहा था कुछ दिन पहले कि लता जी मुझे अपना आशीर्वाद बचपन से दे रही थी, तो मैं उन सौभाग्यशाली लोगो में से हूँ जो उनके आशीर्वाद की वजह से संगीत में इतना कुछ कर पाया।

उन्होंने ये भी कहा कि मेरे करियर में भी लता जी का बोहत बड़ा योगदान है। आप जानते ही है कि जब बप्पी लेहरी एक म्यूजिक डायरेक्टर काम कर रहे थे उस दौर में। काफी बड़े उनके सामने प्रतियोगी थे उनके दौर के। फिर चाहे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल हो या फिर R D बारमैन। बोहत बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ उनका सीधा मुकाबला होता था। हलाकि बप्पी लेहरी का अपना एक अलग स्टाइल था लेकिन उन्हें सपोर्ट हमेशा मिलता रहा।

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