March 28, 2023

एयर इंडिया की इस खूबसूरत एयरहोस्टेस ने किया बहादुरी वाला काम

एयर इंडिया भारत सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली विमान सेवा है। वैसे तो विमान में काम करना बहुत ही खतरनाक होता है लेकिन इसके लिए आपको स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। कभी कभी हमे इस ट्रेनिंग की ज़रूरत पड़ जाती है और समय आने पर हिम्मत से काम लेने वालो का ही नाम होता है। ऐसा ही एक किस्सा हालही में हुआ है, जब एयर इंडिया की एक एयर होस्टेस ने काबुल एयरपोर्ट से भारतीयों को बचाया। काबुल एयरपोर्ट पर तेज़ गोलाबारी के बिच 129 भारतीय यात्रियों को सकुशल वापस लाने के लिए हमारे भारत की एक एयरहोस्टेस है “श्वेता शंके  ” जिनकी काफी तारीफ हो रही है। एयर इंडिया के जिस विमान से 129 भारतीय यात्री सकुशल वापस लाये गए है यह उसी विमान में बटोर एयरहोस्टेस गयी थी। इनकी काफी तारीफ हो रही है क्युकी इन्होने काफी सूझ बुझ से समझदारी का परिचय देते हुए तेज़ गोलीबारी के बिच सभी यात्रियों को यह विमान तक लेकर आयी और उसके बाद सबको अंदर बैठाया और कही पर भी ऐसा कुछ नहीं होने दिया जिसको हम मिसमैनेजमेंट कहते है। इतनी सारी मुश्किलों और दिक्कतों के बीच AI244 यह विमान काबुल एयरपोर्ट पर जब पंहुचा तो बहार से बहुत तेज़ गोली बरी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। स्वेता शंके को जिम्मेदारी सौपी गयी की जो सारे भारतीय अपने वतन लौटना चाहते है उन्हें विमान में सकुशल बैठना है और उन्होंने यह ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई।


स्वेता अमरावती जिले के दर्यापुर की रहने वाली है। उनके इस बहादुरी के कारनामे की चर्चा हर तरफ हो रही है। एयर इंडिया के विमान को पहले तो इजाज़त नहीं मिल रही थी, दूसरी तरफ यह भी दर बना हुआ था कि अगर यह विमान उतरता है तो कही ऐसा न हो इसका अपराह्न हो जाये, सभी जानते है काबुल में क्या स्तिथि बनी हुई है।

लेकिन उस सब के बिच वह पर जाना, यात्रियों को लेकर आना और उन्हें विमान में बैठना। यह वही काबुल एयरपोर्ट है जहा से हर कोई अपने देश वापस आना चाहता है। यहाँ तक कि वह रहने वाले लोग भी उस देश को छोड़ कर भागना चाहते है। वह पर इतने डरावने माहौल में अपनी स्थिर बुद्धि का परिचय देते हुए, बोहोत शांत दिमाग से वह पर जाना और सबको लेकर आना, और फिर अपने इस लक्ष्य को पूरा करना एक बोहोत बहादुरी भरा काम है।

भारत आने के बाद महाराष्ट्र की कैबिनेट मंत्री यशोमति ठाकुर ने उनसे बातचीत करी। उन्होंने खुद यशोमति ठाकुर जी को बताया कि बहार से गोलियों कि आवाज़ आ रही थी, मन में दर लग भी रहा था, लेकिन फिर भी हमने अपना लक्ष्य पूरा किया। हमे लगता है कि श्वेता शंके जैसे लोग भी एक मिसाल देने जैसे काम करते है।

जो कि हमे यह बताता है जब हम किसी अच्छे मकसद से बाहर जा रहे है तो उस वक़्त हमे डरना नहीं चाहिए। इन्होने कितनी वीरता से काम लिया और इनके पास कोई हथियार भी नहीं थे, काबुल जैसी जगह पर उतरना और 129 यात्रियों को बैठना और फिर टेकऑफ करके देश वापस आना अपने आप में काबिलेतारीफ है।

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